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                            नव वर्ष अभिनंदन2007
 
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                          नव वर्ष का करें स्वागत |  
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                                  |  | सरक गया यह साल भीशनै: शनै: अपनी गति से
 खुशियाँ लाया कहीं तो दे गया त्रास भी
 कितनों का खून बहाकितनों ने दर्द सहा
 कितनों के घर उजड़े
 कितनों के बढ़े झगड़े
 अब आगत की दहलीज़ परखड़ा आकर यह दो हज़ार सात
 लगा रहा गुहार शांति और प्यार की
 कर रहा मनुहार सबके साथ की
 भूलकर पुरानी सभी पीड़ा आओ उठाए नया बीड़ा
 सम्माननीय है हर आगत
 नव वर्ष का करें स्वागत
 मंजु महिमा भटनागर |  |  |  | कैसा नव वर्ष नव वर्ष कितना आकर्षण लिए है ये शब्द।
 जैसा कहना चाह रहा हो
 कि भूल जाओ
 बीती हुई पीड़ा को
 और लगा दो सर्वस्व अपना
 नव वर्ष के आगमन पर।
 कितना आसान है
 यह सब लिख देना
 लाल नीले कागज़ों पर।
 मगर!!
 उनका क्या
 जिनके लिए ये अक्षर
 मात्र काली लकीरें है।
 जिनका घर उजड़ा है
 बीती बरसात में,
 बम धमाके,
 यह रोज़ की रेल दुर्घटनाएँ
 जिनके परिवारों की
 गिनती कम कर
 लिप्त हो गए हैं
 समय की चादर ओढ़कर।
 यह नव वर्ष भी उनकी
 पीड़ा पर, उनके घावों पर
 बेसन का एक सूखा लेप
 लगाए बिना ही
 2007 की हार्दिक शुभकामनाओं
 सहित प्रगति की ओर
 अग्रसर हो जाएगा
 विपिन1 जनवरी 2007
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