| 
  
  
    
      | 
        
          | 
          
              
                | 
        
          
            |  | 
			        
			नया साल फिर आ गया |  
            |     | 
				
					
						| आशाओं के पर लगे, पीड़ाओं के 
						पार। नया साल फिर आ गया, ले अनुपम उपहार।।
 
 मम्मी आँसू पोंछती, भरकर उर में आस।
 मंगलमय हो वर्ष यह, फिर से करो प्रयास।।
 
 पीड़ा दुबकी ठण्ड में, ख़ुशियाँ रहीं हिलोर।
 उपहारों की आस में, नये साल की भोर।।
 
 लौटें अपने देश फिर, बच्चों से हो बात।
 नये साल से चाहते, पापाजी सौगात।।
 
 ख़ुशियों सँग नभ चूमती, उम्मीदों की लिफ़्ट।
 साल मुबारक बोलकर, बिटिया माँगे गिफ़्ट।।
 
 सपने हँसकर कह रहे, अब होंगे साकार।
 नयी किरण देगी हमें, नये-नये उपहार।।
 
 सारा भारत एक हो, जग देखे उत्कर्ष।
 भेंट यही मैं चाहता, तुमसे हे नववर्ष।।
 
 - डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'
 १ जनवरी २०१९
 |  |  |  
      
  
               |  |  |