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प्यारे कान्हा
     

 





 

 


 




 


मुख मास्क बाँध आना, जग में तू प्यारे कान्हा
नहीं तो मुरारी, स्वाइन फ्लू लग जायेगा

सिंथेटिक ढूध यहाँ, शुद्ध नहीं कोइ भाव
माखन की ठोर, क्रीम बटर तू पायेगा

जमना के अब तीर, जल नहीं जदुवीर
बिसलेरी कोक से ही, काम चल पायेगा

गोपियों के कानो पे, मोबाइल चिपक रहे
बाँसुरी की तान कान, किसको सुनाएगा

--किशोरे पारीक किशोर
३० अगस्त २०१०

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