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मेरा भारत 
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन 

 
 
सपूत देश के
 

मानते हैं देशभक्त, यदि अपने को आप !
देश हित आप फिर, कुछ कर जाइये !!
तन मन धन सब, देश के ही नाम कर !
देशवासियों को इक, राह तो दिखाइये !!
देश के विकास हेतु, देश को प्रकाश हेतु !
खुद को हे मित्र आप, दीप सा जलाइये !!
मात्र भाषणों से काम, कब चलता है भला !
कुछ तो यथार्थ आप, कर के बताइये !!


वीर सपूत देश के, दुलारे माँ भारती के !
युद्ध भूमि में सदैव, झंडा गाड़ देते है!!
प्रचंड तेज भाल पे, चाहे हो द्वंद काल से!
भारती के शत्रुओं का, सीना फाड़ देते है!!
विश्व धाक मानता है, देखकर वीरता को!
बड़े बड़ों को भी सदा, ये पछाड़ देते है!!
वज़्र के समान देह, नैनों में प्रचंड आग!!
काँप जाता शत्रु जब, ये दहाड़ देते है!

-राम शिरोमणि पाठक
११ अगस्त २०१४

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