प्रेममयी तुम न्यारी-सी तुम
सुखद क्षणों की एक फुहार तुमठंड लगे तब गरम
धूप तुम
तपती आग में नरम छाँव तुम
डर लगे तब आश्वासक तुम
जब हूँ अकेला मित्र खास तुम
हरेक जीत में उत्सव हो तुम
हर पीड़ा में सांत्वन हो तुम
मेरे तन में, मेरे मन में
सदा बसी तुम, सदा साथ तुम
यदि तुम्हें देखना है भगवान
आ जाओ मेरे घर में तुम
मेरी माँ है मेरा भगवान
मेरी माँ है मेरी जीवन
तुझको पाकर धन्य हो गया
माँ हैं तुझको शत शत वंदन
जयश्री अंबासकर
१२ मई २००८ |