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                     माटी
 
माटी को हल-कृषक चाहिए
धरती का परिवार

नमी, हवा, नदियों का पानी
नहरों का संसार
वैज्ञानिक खादों की सुविधा
फ़सल और बाजार
माटी को नभ सूर्य चाहिए
नहीं ईंट घरबार

माटी में ही बसा हुआ है
हरित क्रांति का गाँव
माटी की गोदी में लेटी
है पेड़ों की छाँव
माटी को तो मित्र चाहिए
पोखर और इनार

माटी की गरिमा में हँसता
घिरा हदों का देश
माटी है भाषा की शुचिता
और छत्र गणवेश
माटी को सम्मान चाहिए
हो सपना साकार

- शिवानन्द सिंह 'सहयोगी'
१ अक्टूबर २०२४
           

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