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                   मिट्टी के गीत
 
तुम्हें मुबारक चाँद-सितारे मैं मिट्टी के गीत लिखूँगा
जिस गोदी में हम सब खेले
उस गोदी की प्रीत लिखूँगा

चलता हूँ कहीं कहींगिरता हूँ, फिर उठता, फिर चलता हूँ मैं
ये कैसे फिर हो जाता है, मिट्टी से मिल जाता हूँ मैं
इस मिट्टी से गहरा रिश्ता
अपनेपन की रीत लिखूँगा

इस जीवन का सारा सब कुछ इस मिट्टी से ही पाया है
नाम, शौहरत, ये इतराना इस मिट्टी से ही आया है
अब आया है मौका अच्छा
इस मिट्टी की जीत लिखूँगा

- मुकेश बोहरा अमन
१ अक्टूबर २०२४
           

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