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माटी मेरे
देश की |
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माटी मेरे देश की, है मेरा
अभिमान
अनेकता में एकता, भारत की पहचान
स्वर्ण मुकुट हिमगिरि सजे,सागर पैर पखार
मानचित्र अभिमान को, व्याघ्र सरिस व्यवहार
संविधान इस देश का, देता सम अधिकार
देश एक, ध्वज एक हो, मौलिकता हो सार
संस्कृति उत्तम देश की, इस पर है अभिमान
अनेकता में एकता, भारत की पहचान
सर्व धर्म सद्भाव हो, करिये यही विचार
भारत के निर्माण में, रहे एकता सार
मातृभूमि रज भाल पर, वंदन बारम्बार
लिये तिरंगा हाथ में, करते जय जयकार
जयभारत जयहिंद का, सब मिल करिये गान
अनेकता में एकता, भारत की पहचान
श्वेत शांति अरु केसरी, रूप लिये बलिदान
रंग हरा संपन्नता, भारत माँ पहचान
खादी वस्त्र विचार है, रखिये इसका मान
देशी को अपनाइये, बदले हिंदुस्तान
स्वच्छता अभियान हो, जन जन की पहचान
अनेकता में एकता, भारत की पहचान
देशप्रेम कर्तव्य हो, देशभक्ति ही नेह
पंचतत्व में लीन हों, ओढ़ तिरंगा देह
अपने हित को साधिये, सदा देश उपरांत
देशप्रेम अनमोल है, अडिग रहे सिद्धान्त
मातृभूमि अभिमान है, अमर तिरंगा शान
अनेकता में एकता, भारत की पहचान
- अनिता सुधीर आख्या
१ अक्टूबर २०२४ |
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