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                    माटी के प्रेम में
 
माटी के प्रेम में
माटी सा हो जाना एकाकर
गीली माटी से फिर
माटी को सजाना
इस तरह माटी से सना हुआ
कुम्हार का मन हो या
माटी को धन धन पूजता
किसान का मन
तब सोना उगलती है माटी

माटी के साथ बिताये पल व्यर्थ नहीं होते
माटी से जुड़ाव में प्रभाव होता है
जैसे कुम्हार की चाक में होता है उराव
गढ़ने का
जड़ से चेतन तक जाने का
हाथ पकड़ कर ले जाने का
मन के भाव उकरने का

पंच तत्व से तत्व बोध करते
माटी के साथ बिताये हुए पल
होते हैं- अनमोल

परंपराओं की ऊर्जा में
माटी से जुड़ाव में
हृदय के कपाट खोल देने का साहस होता है!

- अनुपमा त्रिपाठी 'सुकृति'
१ अक्टूबर २०२४
           

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