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माटी के तन में |
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माटी के तन में चले, जब तक
जीवन श्वास
मानव माया-मोह की, नहीं छोड़ता आस
माटी से भोजन मिले, यह वन, जल की स्रोत
पशु-पक्षी, हर जीव के, कण-कण में है प्रोत
माटी बिन जीवन नहीं, माटी बिन संसार
माटी को माथे लगा, माटी से कर प्यार
कृषि उद्योगों के लिए, माटी है आधार
इसके पोषक गुणों से, बढ़ती पैदावार
पर्यावरणी संतुलन, पृथ्वी का शृंगार
जीवन का अस्तित्व भी, माटी का उपकार
- डॉ. विजय तिवारी 'किसलय'
१ अक्टूबर २०२४ |
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