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                   माटी का गुणगान
 
भारत माटी को सदा, मेरा हरित प्रणाम।
लिया जन्म तेरी धरा, शस्य श्यामला धाम।।

रजकण पावन देश की, आज करूँ गुणगान।
लेने इसमें जन्म को, तरसे हैं भगवान।।

तेरी माटी पर बसे, शौर्य त्याग बलिदान।
भगत राजगुरु वीर ने, न्यौछावर की जान।।

माटी का कण-कण यहाँ, चंदन-वंदन योग्य।
जड़ी-बूटियों से भरी, मिले स्वास्थ्य आरोग्य।।

माटी की महिमा बड़ी, बहती संस्कृति धार।
माटी मूरत पूजते, सभी तीज -त्यौहार।।

सींचे माटी रक्त से, सेनानी रण वीर।
करें धर्म रक्षा यहाँ, राम-पार्थ के तीर।।

- डॉ मंजु गुप्ता
१ अक्टूबर २०२४
           

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