सर्द हवाओं की सौगात

 

 
माह कार्तिक लेकर आया
सर्द हवाओं की सौगात

सबने मिलकर पर्व मनाए
जगमग जगमग दीप जलाए
स्नेह भाव लेकर बहनों ने
भैया को हैं तिलक लगाए
लेकिन ठिठुरन से अकुलाती
आती जाएगी अब रात

समय बहुत ठंडी रातों का
खत्म नहीं होती बातों का
गर्म रजाई ओढ़ ओढ़कर
सहते ऋतु के आघातों का
होते होते भोर देखिए
स्वयं सुधरते कब हालात

मधुर भोर की आस लगाए
मन ही मन कुछ कुछ हर्षाए
सबकी बढ़ती जाती चाहत
सर्द निशा ज्यों बीती जाए
मगर धुंध में खो जाती है
जब तब धूप लिए प्रभात

कार्तिक का संदेश यही है
सर सर शीतल हवा बही है
सबको सावधान रहना है
चुपके से सब कुछ सहना है
चार लोग अब आग जलाकर
मिल बैठे कर लेंगे बात

- सुरेन्द्रपाल वैद्य
१ नवंबर २०२५

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