गाँव मगन है

 

 
गाँव मगन है तैयारी में
कार्तिक आने वाला है

रँग-रोगन से गली सुवासित
घर-घर साफ-सफाई जारी
मौसम आँख-मिचौली करता
फिर भी जोश बहुत है भारी
जीवन का उल्लास जीत की
गाथा गाने वाला है

झुमके माँगें हैं भाभी ने
भैया जी का मुँह फूला है
बच्चों की अपनी फरमाइश
जोड़-घटा में मन झूला है
त्यौहारों की रेल चली है
खुशियाँ लाने वाला है

अरुणोदय के पूर्व नहाना
बाबा ने आदेश दिया है
पुण्य कमाने की चाहत में
सबने यह स्वीकार लिया है
दान-दक्षिणा करके जन-जन
वैभव पाने वाला है

- डॉ. शैलेश गुप्त 'वीर'
१ नवंबर २०२५

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