सवेरे सवेरे

 

 
कार्तिक मास आया है
भक्ति भाव लाया है

दीपों की पंक्ति से
आंगन देहरी पर मुस्कान है
पूजा थाली रोली चंदन आरती का
शुभ गान है
काली अंधेरी रात में
दीपों का जगमग प्रकाश है

हृदय पुलकित
हास परिहास शुभ भावों का उल्लास है
स्वर्ण आभा सी चमक निशा में
शीतलता का आभास है
जहाँ छाया था
गहन तिमिर वह भी आज उजास है
अमावस्या की रात में पूर्णिमा का आभास है

जलते दीपों से घर के हर कोने
आज दमक रहे है
काली अंधेरी रात में
तारों से ज्यादा पटाखे चमक रहे हैं

आसमान से ऐसा लगा
जैसे चमकदार जुगनुओं की बरसात है।
आई दीपावली खुशियों की आज बहार है
मित्रों को आज बधाई देने का त्यौहार है।
कार्तिक मास आया है
भक्ति भाव लाया है

- संजय सुजय बासल
१ नवंबर २०२५

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