तुलसी पूजन जागरण
(कुंडलिया)
 

 
तुलसी पूजन जागरण नित्य दीप का दान
श्री हरि की आराधना कार्तिक में कर स्नान
कार्तिक में कर स्नान ब्रह्म मुहूर्त में उठकर
माँ लक्ष्मी जी सदा रहें प्रसन्न फिर उसपर
कहे 'रीत' यह सत्य बढ़े है समृद्धि हुलसी
खुशहाली के द्वार खोल देती है तुलसी

कार्तिक पूनो की सुनो महिमा बहुत महान
देव-दिवाली गुरुपरब गंगा स्नान व दान
गंगा स्नान व दान पुण्य इसमें शुभकारी
तुलसी का प्राकट्य विष्णु मत्स्य अवतारी
कह लो जितना 'रीत' माहात्म्य उससे दूनो
त्यौहारों के रूप सजाती कार्तिक पूनो

सबसे उत्तम पुण्य है कहते कार्तिक स्नान
पंच-पर्व के रूप में ईश्वर का वरदान
ईश्वर का वरदान सजें खुशियाँ आँगन में
धन-तेरस के दीप करें उजियारा मन में
रूप-चतुर्दश ‘रीत’ कहे शृंगारित कबसे
दीवाली औ’ दूज पर्व हैं सुंदर सबसे

आता कार्तिक मास में दीपों का त्यौहार
कर देता है सब तरफ ऊर्जा का संचार
ऊर्जा का संचार भरे जिजीविषा मन में
खुशियों वाले रंग दिखें आते जीवन में
चमक दमक मनुहार मधुरता भर-भर जाता
माँ लक्ष्मी का रूप लिए यह उत्सव आता

- परमजीत कौर 'रीत'
१ नवंबर २०२५

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