लेकर पर्वों की छटा, आए
कार्तिक मास
चातुर्मास के अंत ने, उर में भरा उजास
उर में भरा उजास, चाँद करवा का आया
आए सीता राम, दीप से द्वार सजाया
छठ में पूजे सूर्य, अर्घ्य डूबे को देकर
ये जीवन का चक्र, चलें हम खुशियाँ लेकर
कार्तिक की एकादशी, उठे विष्णु भगवान
योग निद्रा से जागते, होंगे मंगल गान
होंगे मंगल गान, ब्याह तुलसी का करिये
व्रत से पा देवत्व, पुण्य से झोली भरिये
बाजे ढोल मृदंग, बने द्वारे पर स्वास्तिक
भारत संस्कृति धन्य, पर्व ले आए कार्तिक
महिमा कार्तिक मास की, गाते वेद पुराण
मंगलकारी पूर्णिमा, करे मनुज कल्याण
करे मनुज कल्याण, नित्य तुलसी की पूजा
करिये जप तप दान, नहीं उत्तम कुछ दूजा
देव दिवाली पर्व, दीप की होती गरिमा
करिए गंगा स्नान, विष्णु की गाएँ महिमा