आ गया कार्तिक महीना

 

 
आ गया कार्तिक महीना साथ में त्यौहार लेकर
आस्थाओं का समंदर प्रीत का उपहार लेकर

है बहुत पावन महीना आओ धो लें पाप अपने
देवता सारे मनाएँ धर्म का आधार लेकर

सज गए तुलसी के बिडले, साथ पथवारी सजी है
माह भर कार्तिक नहाएँ आस्था का सार लेकर

होड़ त्यौहारों की आपस में लगी जिद पर अड़े सब
गाइए महिमा सभी की, पुण्य का अधिकार लेकर

व्रत और उपवास करवा चौथ पर करती सुहागन
पूजती है चाँद को प्रिय मान और मनुहार लेकर

शरद की पूनम नहाएगी नशीली चाँदनी में
बूँद अमृत की झरेगी, आसमानी प्यार लेकर

जब अमावश की अँधेरी रात काली आएगी तब
रात भर दीपक जलेंगे, प्रीत का उजियार लेकर

मन की देहरी पर कतारों में कई दीपक सजेंगे
देव दीवाली मनेगी रोशनी का हार लेकर

तम निराशा का छँटेगा, रोशनी खुशियों की होगी
पर्व हिलमिल कर मनाएँ पुष्प का शृंगार लेकर

- रमा प्रवीर वर्मा
१ नवंबर २०२५

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