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होली है!!

 

रंग-रंग के फूल

मौसम को फिर मिल गए रंग-रंग के फूल
देख, शिशिर के शीश पर फागुन डाले धूल

२.

घोषित करता रह गया मौसम रेड एलर्ट
पेड़-पेड़ को छेड़ती हवा निगोड़ी फ्लर्ट

३.

चिड़िया के दो बोल हैं वेणी के दो फूल
कहाँ छुपा रख दूँ इन्हें हो न सकें जो धूल

४.

मदहोशी में छेड़ते भँवरे कैसी तान
सपने में भी सुन रहे मंजरियों के कान

राजेंद्र गौतम
१७ मार्च २००८

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