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देख, फगवा के रंग बरसे
अबीर बरसे, गुलाल बरसे
आई हुडदंगो की टोली
गली गली खेल रही होली
फगवा की पिचकारी संग
सबका, मन हरषे, तन हरषे।
देख, फगवा के रंग बरसे
अबीर बरसे, गुलाल बरसे।
रात रात भर, जाग जाग कर
रंग प्रेम के घोल घोल कर
उबाले अबीर, पुकारे गोरी
रंग खेल हमसे, खेल हमसे
देख, फगवा के रंग बरसे
अबीर बरसे, गुलाल बरसे।
डॉ. प्रेम जनमेजय
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