लगा महीना फागुन का होली के दिन आए
इसीलिए वन के राजा ने सभी जीव बुलवाएभालू आया बड़े ठाठ से
शेर रह गया दंग
दुनिया भर के रंग उड़ेले चढ़ा न कोई रंग
हाथी जी की मोटी लंबी पूँछ बनी पिचकारी
खरगोश ने घिघियाकर मारी तब किलकारी
उसका बदला लेने आया वानर हुआ बेहाल
लगा-लगाकर थका बेचारा चौदह किलो गुलाल
मौका ताड़े खड़ी लोमड़ी रंगू गधे को आज
लगा दुलत्ती नो दो ग्यारह हो गए गर्दभराज
घायल हुई लोमड़ी उसको अस्पताल पहुँचाया
गर्दभ को जंगल के जज ने दंडित कर समझाया
होली है त्योहार प्रेम का मौका है अनमोल
भूलो देश खूब रंग खेलो गले मिलो दिल खोल
यहाँ राज है जंगल का सबको न्याय मिलेगा
वरना जग में हमें आदमी फिर बदनाम करेगा।
पवन चंदन
९ मार्च २००९ |