होली
है
!!

 

आओ जलाएँ
(संदर्भ होली)


आओ जलाएँ
कलुष -कारनी कामनाएँ!

नए
पूर्ण मानव बनें हम,
सकल-हीनता-मुक्त, अनुपम
आओ जगाएँ
भुवन-भाविनी भावनाएँ!

नहीं हो
परस्पर विषमता,
फले व्यक्ति-स्वातंत्र्य-प्रियता,
आओ मिटाएँ
दलन-दानवी-दासताएँ!

कठिन
प्रति चरण हो न जीवन,
सदा हों न नभ पर प्रभंजन,
आओ बहाएँ
अधम आसुरी आपदाएँ!

महेंद्र भटनागर
१७ मार्च २००८

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