फागुन
मास रंगीला आया
होली का उत्सव है छाया
मस्ताना मदमाता मौसम
झूमें नाचें गायें सब जन
रंग गुलाल के बादल छाये
रंगो में सब लोग नहाये
देवर भाभी जीजा साली
करें ठिठोली खेलें होली
बोले होली है भई होली
खायें गुझिया और मिठाई
घुटे भांग और पिये ठंडाई
गले मिलें जैसे सब भाई
भांति भांति के रंग लुभावन
प्रेम का रंग सबसे मन भावन
प्रेम के रंग में सब रंग जाएँ
जीवन को खुशहाल बनाएँ
खेलें
सभी प्रेम से होली
बोलें सभी स्नेह की बोली
मिलें गले बन के हमजोली
ऐसी है अनुपम ये होली
कविता सिन्हा
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