१
तुमने हवा में बिखेरे रंग
मैं सकुचाई
तुमने रंगों की ओढ़ा दी चादर
मैं बच न पाई
रंगों का आवरण था घना
मेरी कल्पनाओं में उतर आए
इन्द्रधनुषी रंग।
२
मेरे जीवन में ऐसे आए रंग
जैसे पहाड़ के सीने पर
उतर आती है हरियाली
जैसे खेत ओढ़ लेते हैं पीली चुनरिया
जैसे बुरांस के दरख्तों पर
झूलने लगते हैं सुर्ख लाल फूल
सचमुच मेरे जीवन में ऐसे आए रंग
तुम आए जब रंगों का मौसम बन
मैं रंग गई तुम्हारे रंग!
गुरमीत बेदी
१७ मार्च २००८
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