रंग और गुलाल लगाओ कि आज होली है
चंग और मृदंग बजाओ कि आज होली है
मस्ती
का मौसम है मस्ती का आलम है
मस्ती में डूब जाओ कि आज होली है
फागुन
का मौसम है पुरवाई बौराई
बौराए गीत सुनाओ कि आज होली है
मय
भी है जाम भी है सागर भी और साकी
भी
भर भर के जाम पिलाओ कि आज होली है
गिले
और शिकवे सभी आज भूल जाओ 'अश्क'
हँस के गले से लगाओ कि आज होली
है
-चंपालाल चौरडिया 'अश्क
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