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       होली

सप्तरंगी आसमाँ
और इंद्रधनुषी ख़्वाब
उसके...

श्वेत शफ्फाक रंग चांदनी-सा
और तुम श्यामल सरीखे...
बादलों में छिपते
घनेरी स्याह रात संग
एक स्याह रंग यह भी..

मखमली-सी चाहत मेरी
सुनहरे रंग के आखर तुम
हरसिंगार के नारंगी सपने
लाल रक्तिम अब गोधूलि भी
रंग मेरे जिंदगी के तुमसे
कई रंगों से सजी मैं...

लगा लो चाहे रंग तुम कई से
मिले न रंग कोई मुझसा भी
भले रंग लो कई रंगो में
छुड़ा न सकोगे रंग मेरा भी...

अबकी होली में खूब रँगना तुम
भीग लेना मेरे पसंदीदा रंग में
रंगूँगी तुम्हारे रंग में यादों के सहारे मैं
एक मेरी होली तुम बिन यह भी...

- सुरेखा अग्रवाल स्वरा
१ मार्च २०२४
   

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