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	मचल उठी है होली
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 |  | सीमा पर गहरा संकट है चले 
						दनादन गोली बदल रहा परिवेश देश का मचल उठी है होली!
 
 गर्म हवा बन गयी बवंडर गिरें गगन से गोले
 रंगों की बौछार हो रही रक्तपात की होली!
 
 ऊपर- नीचे, अंदर-बाहर सभी ओर संकट है
 हिंसक पशु सब खेल रहे हैं मार-काट की होली!
 
 धरा-गगन सब गूँज रहे हैं बजते ढोल-नगाड़े
 खेल रही हैं सभी दिशाएँ लाल रंग से होली!
 
 अजा, भेड़, गौ, बछड़े, बछियाँ, रंभाते-डकराते
 बधिक-भेड़िया,चीता खेलें, रक्त-माँस की होली!
 
 बहुत कठिन बचना रंगों से खूनी हैं हुरियारे
 राष्ट्र-अस्मिता लूट रही है, जान-माल की होली!
 
 उठो देश के वीर बाँकुरों भेदभाव को छोड़ो
 राष्ट्रद्रोह- आतंकवाद की बंधु! जलाओ होली!
 
 होली की पावन वेला है दृढ़ संकल्प करो तुम
 जला रहे गद्दार देश को फूँको उनकी होली!
 
 - डा. महेश 'दिवाकर'
 १ मार्च २०२४
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