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      चलो वापस चलें

हो गई होली, चलो वापस चलें
पैर छू, बस ये कहूँगा, खूब काजर आँज लो
फेर मुँह, बोली न भौजी, हुई गहरी साँझ लो
गालियाँ देकर भतीजे कह रहे दर बाँट लें
हो गई होली, चलो वापस चलें
                                 
पिरखियाँ औ एहरसे अम्मा कहें, सब बाँध लो
सोचती  दुल्हन, वही, बाई को, दे देंगे  चलो 
कह रहीं अम्मा, रुको नवरात तक, चैती चलें
हो गई होली, चलो वापस चलें 

दूज पर रुचना लिये, आँखें, भरी-खाली मिलीं
पाँव में अब हड़बड़ी है, हाथ को ताली मिलीं 
चाट डाली हैं, करोना ने, बुजुर्गी-फाइलें 
हो गई होली चलो चलो वापस चलें

- डॉ अरुण तिवारी गोपाल
१ मार्च २०२३
   

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