|  | रंग बिरंगी तितलियाँ, 
						काले रंग का काग नापे गगन कबूतरी, कोयल गाये फाग
 
 साँझ रसीले आम की कीर्तन रत हैं भोर
 नई नवेली दोपहर बैठी पिया अगोर
 
 बजे नगाड़े रात में, बिखरे फगवा गीत
 तन भीगा होली हुआ, मिला न मन का मीत
 
 पीली सरसों रच रही टेसू रंग कमाल
 आई होली खेलने सब मिल करें धमाल
 
 आम बौरा कर खिल गया, टेसू मले गुलाल
 हवा वसंती कूकती, मन है ताल तमाल
 
 सिर पर निर्मल चाँदनी,  धरती भरी उजास
 रंग रंगीली प्रकृति है सेमल लाल लिबास
 
 - सुरेश कुमार पण्डा
 १ मार्च २०२३
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