| कैसे रंग और 
						कैसी होली सीमा पर चल रही है गोली
 
 दुश्मन घात लगाए बैठा
 साँठ- गाँठ का खेल रचे
 जिन हाथों में गेंद खिलौने
 पत्थर-कंकर आन सजे
 केसर क्यारी की धरती पर
 गद्दारों की नीयत डोली
 कैसे कोई खेले होली
 
 घर आँगन बगिया चौबारे
 उजड़े उजड़े सूने से
 छलनी-छलनी छत दीवारें
 ढहे द्वार बस छूने से
 बेघर हो गए माल मवेशी
 भस्म हुई सब छप्पर खोली
 
 जंगल पर्वत नदिया चश्में
 बारूदों की गंध उड़े
 बंद सलाखें बचपन झाँके
 सहमी आँखें हाथ जुड़े
 जन-जन का विश्वास जगाने
 आन खड़ी वीरों की टोली
 आओ मिल कर खेलें होली
 
 - शशि पाधा
 १ मार्च २०१८
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