| हे देवनागरी! नई सदी की नई सुबह,नई सुबह का सूर्य उगा,
 भोर भई अब जाग री,
 जागे तेरे भाग री।
 हे देवनागरी!
 देव लोक की अप्सरा,धन्य हुई भारत धरा,
 गूँजा तुझसे भूभाग री,
 जागा अपना भाग री।
 हे देवनागरी!
 तू हिंदी कभी हिंदुस्तानी,इस लोकराज की है रानी,
 है तेरा यही अंदाज़ री,
 तू है भारत का राग री।
 हे देवनागरी!
 संस्कृत की है आत्मजा,पंजाबी है तेरी अग्रजा,
 बिंदी भारत के भाल री,
 तू भारत का अनुराग री।
 हे देवनागरी!
 आज़ादी के रण का बिगुल बनी,अंग्रेज़ी के पथ पर जा तनी,
 आज़ादी का तू राग री,
 भारत का सौभाग री।
 हे देवनागरी!
 -राजेश पंकज9 नवंबर 2006
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