| हिंदी गौरव
 निज भारत के भल गौरव कै, अति 
ऊँचि ध्वजा फहरावति हिंदी।बहु ज्ञान कला शुभ संस्कृति कै, जग माँ सरिता लहरावति हिंदी।
 अपने बल-पौरुष ते सब माँ, शुचि स्नेह-सुधा लहरावति हिंदी।
 अपनावत जे यहि का 'मधुरेश', उन्है अपुवै अपनावति हिंदी।।
 भोजपुरी-अवधी-बृजी प्राकृत, संस्कृत-पालि की सार 
है हिंदी।मैथिली-डूँगरी आदि अनेकन, बोलियों की झनकार है हिंदी।
 धारती है सबके प्रति प्यार, सदा सब भाँति उदार है हिंदी।
 भारत देश की एकता के मणि, हार का मंजुल तार है हिंदी।।
 संकर जे बहु भाँति भयंकर, ते सुर छोड़ि, कसाई क 
मानै।है जिनमा पशुता भरी वै जन, बाप क मानै न माई के मानै।
 जे मति पोच, ते गाय विहाय कै, कूकुर औरु बिलाई क मानै।
 भूलिकै हिंद की हिंदी का गौरव, मूढ़ अबौ हरजाई क मानै।।
 --भानुदत्त त्रिपाठी 'मधुरेश'१४ सितंबर २००९
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