बंदनवार हिंदी  
				 
				राष्ट्र-तोरण द्वार पर 
				सज्जित है बंदनवार हिंदी 
				 
				प्राकृत और संस्कृत की 
				गोद में पल कर बढ़ी है 
				कौरवी का व्याकरण लेकर 
				सुगम पथ पर चली है 
				 
				वली दकनी और खुसरो 
				के गले का हार हिंदी 
				 
				प्राण फूँके हैं इसी ने 
				राष्ट्र के नवजागरण में 
				समर में स्वाधीनता के 
				स्वाभिमानी आचरण में 
				 
				इंदु, भारत के हृदय का 
				जगत को उपहार हिंदी 
				 
				परिष्कारित है द्विवेदी-शुक्ल 
				के विद्वत् करों से 
				अनुप्राणित है निराला-प्रेम 
				के अविरल स्वरों से 
				 
				भर रही है विश्व-पट पर 
				गर्व की हुंकार हिंदी 
				 
				- अमिताभ त्रिपाठी 'अमित'     
				१ सितंबर २०१५
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				संकेत 
				१- खुसरो - अमीर खुसरो 
				२- इंदु भारत के - भारतेंदु हरिश्चंद्र 
				३- द्विवेदी शुक्ल - महावीर प्रसाद द्विवेदी, रामचंद्र शुक्ल 
				४-निराला प्रेम - सूर्य कान्त त्रिपाठी 'निराला', प्रेमचंद 
				 
				
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