| हिन्दी, हमारी 
हिन्दी!
 हिन्दी हिन्दुस्तान की चर्चित देश-विदेश,
 अंग्रेजी सिरमौर क्यों, यही बहुत है क्लेश !
 
 करती सबका मन मृदुल, जोड़ रही है देश,
 राष्ट्रवाद, एकीकरण का हिन्दी सन्देश !
 
 भिन्न क्षेत्र, प्रांतीयता, रहन-सहन है भिन्न,
 सबकी भाषा सहज है हिंदी बहुत अभिन्न !
 
 हिन्दी आन्दोलन नहीं, हिन्दी निष्ठा, प्यार,
 हिन्दी के चलचित्र हों या हिन्दी अखबार !
 
 हिन्दी जीवन-धार है, संस्कार, व्यवहार,
 हिन्दी है संस्कृति सजग, हिन्दी एक विचार !
 
 हिन्दी की संजीवनी पियें, जियें सौ बर्ष,
 आलोकित नव-सृजन हो, हिन्दी का उत्कर्ष !
 
 -विश्वम्भर शुक्ल
 ९ सितंबर २०१३
 
              |