अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

चैत्र माह अति पावन है

 
बहुरंगी औ’ बहुधर्मी
पर्वों का यह सावन है
शुद्ध सात्विक भावपूर्ण यह
चैत्र माह अति पावन है

आस्था है तरुणाई पर
श्रद्धा भक्ति मय संसार
गूँज रहे हैं भजन मधुर
झंकृत वीणा सुरबहार
भक्त हैं सब भाव विभोर
घर घर ही वॄंदावन है

बैसाखी का पर्व कहीं
और कहीं बिहु नृत्य चले,
नवमी पर रामजन्मदिन
नव संवत प्रतिपदा मने
चैती की यह स्वर लहरी
अति सुरमय मन भावन है

अष्टमी, गणगौर पूजन
अंजनी सुत की जन्म तिथि
महावीर, सॄष्टि जयंती
हर उत्सव पर गतिविधि
मंदिर प्रांगण स्तुति पावन
ईश आरती गायन है

अनुपम चैत्र महीने को
सब धर्मों का मान है
छठ माँ स्तुति, गुड फ्राई डे
संग लाया रमजान है
पूजा है अवलंब सदा
देवों का आह्वाहन है
चैत्र माह अति पावन है

- ओम प्रकाश नौटियाल
१ अप्रैल २०२१

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter