विचारों की भज्जी

 
  विचारों की भज्जी पर
चिन्तन का बेसन

निष्ठा के आलू पर, आदर का लेप चढ़ा
रिश्तों की करछुल से, नित नवीन स्वाद गढ़ा
गरमाहट स्नेह की
सोंधा-सा मन

बोली की मिर्च मिली, स्वाद हुए चटर पटर
तानों के नमक भी, खा गए गटर गटर
ताज़गी नई मिली
बढ़ा अपनापन

महफ़िलों की मेज पर, ठहाकों की पकौड़ियाँ
दोस्तों ने डाल दीं, विश्वास की चटनियाँ
समय की चटाकर में
साथ मनभावन

- ऋता शेखर 'मधु'
१ जुलाई २०२४

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