पकौड़ों की महिमा

 
  गरम चाय के साथ पकौड़े
मनभावन बरसात

रिमझिम गिरती प्रांजल बूँदें
हरे भरे हैं बाग
टहलें प्रेमी युगल भीगते
धुले धुले से पात
भर सुंगंध से भीना भीना
भजिया दोना साथ

खुले झरोखों पास बैठकर
अंतहीन गप चलती
गरम पकौड़े, चाय चुस्कियाँ
बूँदें टप टप पड़ती
सोंधी धरती मह मह करती
लिये हाथ में हाथ

चाय पकौडों की अनुकंपा
पारित हों प्रस्ताव
रहें सभासद सुखद भाव में
बना रहे सद्भाव
चर्चा चाय सुभाव सुझाव में
यह भोजन अभिजात

- ओम प्रकाश नौटियाल
१ जुलाई २०२४

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