गरम पकौड़ा

 
  भरी कड़ाही तेल पी गया गरम पकौड़ा
अम्मा बैठी बजा रही हैं
लिए झुनझुना

कितनी मुश्किल से इक बीघा खेत लिए
अरे! बटाई तिलहन सरसों सेंत दिए
इक का चार दिया ट्यूबवेल की दुसह्य सिंचाई
बैठ पलंग पर जीम रही
अब लाल धना

बोली थी लल्ला कर लो सब्ज़ी का धंधा
था जवाब बाज़ार बड़ा खेती का मंदा
मैं नौकरी करूँगा अम्मा सरकारी ही
मक्खी मार रहा अब
बैठा बना-ठना

प्याज टमाटर भर रफ्तार चढ़ रहे टॉप
पीछे चलती धनिया पर दिनकर कंटाप
संसद से बंगले तक हँसते चाउमीन लच्छे
गरम पकौड़े को
बजटों ने ख़ूब धुना

हाय करमगति! खसम मर गए क्यों तुम पहले
लाल काहिली में मारे नहले पे दहले
खेती तनिक, दिहाड़ी से खर्चा न निकले
माँगें चटनी संग
पकौड़ा तला-भुना

- जिज्ञासा सिंह
१ जुलाई २०२४

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