मिले पकौड़े गर्म

 
  बाहर रिमझिम बारिशें, उमगी मन में आस
मिले पकौड़े गर्म तो, दिन बन जाये खास

लगी चाय की प्यालियाँ टेबल के चहुँ ओर
संग पकौड़ों के चले चर्चाओं का दौर

अलग अलग हैं भट्ठियां अलग कड़ाही तेल
तलते रोज पकौड़ियाँ नहीं किसी का मेल

घर पर बनी पकौड़ियाँ खुशबू ड्योढ़ी पार
सूंघ पडोसी आ गये झटपट मेरे द्वार

बात पकौड़ों की चली आयी माँ की याद
उनके हाथों सा कहीं मिला न अबतक स्वाद

नाते-रिश्तेदारियाँ मित्र पडोसी जान
नेह डोर से बांधती गरम पकौड़े मान

तृप्त हुआ मन देखकर लम्बे अरसे बाद
खाकर प्रेम-पकौड़ियाँ मिला स्वाद को स्वाद

- सुधा आचार्य
१ जुलाई २०२४

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