अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

हरसिंगार से रिश्ते

 

पावन हरसिंगार से रिश्ते
टूटे न ये प्यार के रिश्ते

धरती के
आँचल पर जरदोजी रचते
डोली चढ़ पवनों की मंद मंद हँसते
ऋतुओं खिले बहार के रिश्ते

आँगने के
हाथों में सजते हैं ऐसे
मूँगे और मोती के कंगन हो जैसे
सावन मिले फुहार के रिश्ते

पेड़ों के छज्जे
से उचक उचक गिरते
घर की दिवारों में रंग कई भरते
अम्मा की मनुहार के रिश्ते

रचना श्रीवास्तव
१८ जून २०१२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter