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					मनु मनस्वी की
					 
					पाँच गद्य कविताएँ  
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					खुशी 
					 
					जेब में पैसे नहीं, घर के राशन का पता नहीं, बच्चे के खर्चे का 
					ठिकाना नहीं, फिर भी वो खुश है। बीते दिनों उसने बेकार जानकर 
					फेंके गए पौधे की टहनी को रोपा था, उसमें कोंपलें फूटने लगी 
					है, वो भी बीती रात तेज मूसलाधार तूफानी बारिश के बाद।  
					आज जेब में पैसे भी हैं, घर का राशन ठुस्समठुस्स, सब खर्चे 
					हैसियत के भीतर, फिर भी वो उदास है। बीते दिनों से पेड़ मुरझाने 
					लगा था। कल बाप मरा तो उसी पेड़ ने बिना किसी शिकायत अपनी 
					टहनियाँ बिखेर दीं। 
					 
					दहेज 
					 
					बहिन को देखते ही लड़के ने नाक-भौं सिकोड़ ली, लेकिन सयाने बाप 
					ने मुँह फाड़ दिया, दो लाख कैश और कार। सिर पर बाप का साया न था 
					सो मैंने ही ना ठोक दी। 
					कमरे में जाकर देखा तो बहिन आईने के सामने मुस्करा रही थी। उसे 
					लड़का पसंद जो था। 
					हाथ-पैर जोड़कर लड़के के बाप के माथे पर ठोकी ‘ना’उखाड़ दी। पूरे 
					दस साल लग गए बहिन की शादी चुकाने में। 
					 
					कसमें
					 
					 
					साथ जीने मरने की कसमें, प्यार के लिए दुनिया से लड़ जाने के 
					दावे कालेज खत्म होते ही हवा हो गए। लड़की ने अब तक शादी नहीं 
					की। घर वालों को साफ कह दिया कि वो नहीं तो कोई नहीं।  
					लड़का पूरे पाँच साल बाद मुझे मिला तो हालचाल पूछने के बाद 
					मैंने कहा, उससे तो मिल ले। तेरे प्यार में अब तक शादी नहीं की 
					बेचारी ने।  
					लड़के ने बेफिक्री से सिगरेट का धुआँ मेरी ओर फेंकते हुए कहा, 
					छोड़ यार! रंडियों की भी कहीं शादी होती है? 
					 
					हकीकत
					 
					 
					दोनों को जो भी देखता, उनके प्यार का कायल हो जाता। अचानक जाने 
					क्या हुआ कि दोनों एक-दूसरे की सूरत देखना तक बर्दाश्त नहीं 
					करते। लड़की ने लड़के के दिए सारे तोहफे वापस कर दिए। बदले में 
					अगले दिन लड़के ने एक लिफाफा लड़की के घर भिजवा दिया। खोलकर देखा 
					तो उसमें रेस्टोरेंट के बिल थे।  
					 
					
					प्रोत्साहन 
					 
					परीक्षा में फेल हुआ बच्चा बहुत देर से चींटी को बार-बार गिरकर 
					सँभलते और दोबारा प्रयास करते देख खुद में उत्साह का संचार 
					होते देख रहा था। इतने में माँ ने सब्जी का थैला उसकी ओर 
					फेंकते हुए ताना मारा, सारा दिन फालतू बैठा रहता है। जा बाजार 
					से सब्जी ले आ। 
					माँ के ताने से बच्चे ने थैला उठाया और पैर पटक कर बाजार को चल 
					दिया। चींटी उसके पैरों तले कुचली जा चुकी थी। 
                    १५ नवंबर २०१५  |