| और फिर 
                    शब्द झरे तो बह चलेबह चला समय
 न तो शब्द थमे
 न समय
 और न ही नियति
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 | प्रश्नचिन्ह 
                      हमने आपके चेहरे से
 प्रश्नचिन्ह हटाए नहीं
 शायद इसीलिए
 आप मुस्रकुराए नहीं
 | गिनती 
                        एक दिन, एक सूरजएक रात, एक चाँद
 एक मैं और
 सैंकड़ों तनहाइयाँ
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                        | ख़बर 
                          जनवरी १०...उस आदमी को
 जिसे एक कुत्ते ने काट लिया था
 नगरपालिका वाले पकड़ ले गए
 और बधिया कर दिया
 1
 | तुम 
                            तुम आए धूमकेतु की तरहऔर चले गए
 यादों के जंगल में
 अब तो बस
 तुम एक जुगनू की तरह
 | कैसे 
                            मैं नहीं समझ पाताकि कोई कैसे निकल जाता है
 ज़िंदगी की जद्दोजहद से
 जीते जी
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