| हाइकु 
                  काले मेघों मेंखींच रहे बगुले
 उज्ज्वल रेखा।
 सूखे ठूँठ मेंवर्षा ने उगा दी है
 हरी कोंपल।
 धरा की धूलछूने लगी आकाश
 हवा के साथ।
 औरों के दीपहमें देंगे उजाला
 हम किसे दें ?
 धूप के हाथोंलुटती रही गंध
 खिले फूल की।
 ओस की बूँददूब की नोक पर
 हीरे की कनी।
 उषा ने बाँधीक्षितिज के हाथों में
 सूर्य की राखी।
 16 jaUna 2005
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