| संकलित दोहे शहर सभी हैं एक से क्या दिल्ली-भोपाल,जगह वही अच्छी लगे जो दे रोटी-दाल।
 -यश मालवीय
 अम्मां-बाबू हो गए खिले-खिले कचनार,जब से भाभी को हुई 'अमियां' की दरकार।
 -डॉ राधेश्याम शुक्ल
 छुड़वाकर सब साधना पूजा का जंजाल,इक सूनापन कर गया मुझको मालामाल।
 -लक्ष्मण
 मरुथल चिठ्ठी ले उड़ा, थी 'वर्षा' के नाम,इसीलिए सूखा रहा श्रावण मास तमाम।
 -डॉ वर्षा सिंह
 दुनिया के सब लोग ही जीते अपनी पीर,जो औरों के दर्द को जीता, वही कबीर।
 -विज्ञानव्रत
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