| खनक उठी 
						तलवार 
						जब जब संकट में पड़ा 
						मातृभूमि का मानदेश प्रेमियों ने किया तन मन धन बलिदान
 
						दुश्मन ने जब जब किया भारत 
						माँ पर वारमाँ के लालों की तभी खनक उठी तलवार
 
						वीरों को भाता नहीं परवशता 
						मधुकुंभरोटी खाई घास की राणा ने सकुटुंब
 
						दानी भामाशाह ने लुटा दिया 
						सर्वस्वस्वीकारा कब शिवा ने यवनों का वर्चस्व
 
						मातृभूमि की वंदना वीरों का 
						है गानफिर देखें कैसे भला वे माँ का अपमान
 
						मंगल पाँडे ने दिया हमें 
						क्रांति का मंत्रक्रांतिकारियों से हिला अँग्रेजों का तंत्र
 
						डायर की भी क्रूरता बुझा न 
						पाई आगतीर्थ शहीदों का बना जलियाँवाला बाग
 
						खुदीराम करतार भी हुए देश 
						हित खाकमातृभूमि पर बलि चढ़े बिस्मिल औ'
						अश्फ़ाक
 
						फाँसी का फंदा मिला किंतु न 
						छोड़ी टेवऐसे त्यागी राजगुरु, भगतसिंह, सुखदेव
 
						वीरों को प्रिय प्राण से 
						मातृभूमि सम्मानहँस हँस कर देते सदा निज प्राणों का दान
 
						लक्ष्मीबाई ने धरा जब रणचंडी 
						रूपदेश प्रेम दीपक तभी जलने लगा अनूप
 
						आजादी आजाद की लाई गहरा रंगफिर सुभाष की फौज से रुकी न थी वह जंग
 
						लाला गाँधी गोखले तिलक जवाहर 
						लालधूल धूसरित कर गए अँग्रेजों की चाल
 
						जीत अहिंसा की हुई टूट गया 
						साम्राज्यदौड़ी लहर उमंग की मिला स्वदेशी राज्य
 
						देशप्रेमियों से हुए पुनः 
						प्रतिष्ठित प्राणक्यों न रखें अक्षुण्ण हम भारत माँ की आन
 ९ अगस्त २०१० |