| सूरज की पहली किरण सूरज की पहली किरण भरती मन उल्लासकली बदलती फूल में जीवन का विश्वास
 दिन भर बाँटे रोशनी खुद जलकर दे दानसुबह सलोनी के लिए डूब मरे दिनमान
 स्वर्ण कटोरा हाथ में ले निकला दिनमानदिशा दिशा सुख बाँटता यही महा अभियान
 नहीं समझ में आ रहा अपना यह आयामसूरज क्यों छुपता फिरे देख सुनहरी शाम
 घोर अंधेरी रात के सूरज है उस पारमिटकर ही तू पाएगा जीवन-धन उपहार
 रीति जगत की है यही पड़ता है जब कामउगते सूरज को सभी करते सदा प्रणाम
 जग को दर्शन दे रहा सुबह सुबह एक रूपभेद भाव को भूलकर वितरित करता धूप
 आलोकित आकाश में एक मात्र भगवानपागल सूरज रूप में करते हैं पहचान
 १५ सितंबर २००८ |