| राजनीति की नीति राजनीति की नीति का, है ना 
पारावारजैसे चाहो मोड़ दो अर्थों का संसार
 पल पल निष्ठा बदलना, राजनीति का 
खेलआज गले जो मिल रहे कल वे ही अनमेल
 मनुज बदलते हैं नहीं, बदल रहे हैं 
अर्थकल जिनके गुन गा रहे, अब दिखते वे व्यर्थ
 मंत्री पद के लोभ में दल निष्ठा 
को तोड़छोड़ छाड़ कर जा रहे ऐसी देखी होड़
 संप्रदाय अरु जाति की राजनीति 
बेकारकटुता दिन दिन बढ़ रही नफ़रत का संसार
 सत्ता के सुख भोग की होड़ लगी 
चहुँ ओरलूट मची सब ओर है, जित देखो तित चोर
 16 नवंबर 2007 |