पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१. ५. २०२३  

अंजुमन उपहार काव्य संगम गीत गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलन अभिव्यक्ति
कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला रचनाकारों से

गुनगुनाएँ हम

 

 

फिर चलो इस जिंदगी को गुनगुनाएँ हम
बैठ कर बातें करें औ
मुस्कुराएँ हम
.
लान कुर्सी पर मधुर संगीत को सुन लें
चाय की चुस्की भरे हर स्वाद को गुन लें
प्रीत के निर्झर पलों को
गुदगुदाएँ हम
.
अनकही बातें कहें जो शेष हैं मन में
गंध फूलों की समेटे आज दामन में.
नेह की, नम दूब से
शबनम चुराएँ हम
.
इस समय की धार में कुछ ख्वाब हैं छूटे
उम्र भी छलने लगी, पर साज ना टूटे
साँझ के शीतल पलों को
जगमगाएँ हम
.
जिंदगी की धूप में बेकल हुई कलियाँ
साथ तुम चलते रहे, यों कट गयीं गलियाँ
एक मुट्ठी चाँदनी में
फिर नहाएँ हम
.
- शशि पुरवार
इस माह

गीतों में-

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शशि पुरवार

अंजुमन में-

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सत्यशील राम त्रिपाठी

छंदमुक्त में-

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चंद्र मोहन

दिशांतर में-

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अमेरिका से रेखा भाटिया

क्षणिकाओं में-

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परमजीत कौर रीत

पुनर्पाठ में-

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बुद्धिनाथ मिश्र
 


विगत माह
अप्रैल के अंक में

 गीतों में विप्लव जी, अंजुमन में गिरेन्द्र सिंह भदौरिया, छंदमुक्त में ऋचा अग्रवाल, दिशांतर में श्री नारायण शुक्ल दोहों में पारुल तोमर, पुनर्पाठ में ब़ृजनाथ श्रीवास्तव की रचनाएँ

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
     

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