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नये सपने |
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एक चिड़िया
की चहक सुनकर
गीत पत्तों पर
लगे छपने
घोसले में जमे बेतरतीब-
तिनके एक अनगढ़
कला का पाने लगे सम्मान
धूप की पहली किरन
चुपचाप दस्तक द्वार पर
दे भर गई मुस्कान
रौशनी की
आँख से देखा सभी
लगने
लगे अपने
भीड़ के शावक चपलता
ओढ़कर नव अंकुरित
डैने हिलाकर, देखते दृग खोल
शाख पर बैठी चिरैया-
के हृदय के खेत में
छंद उग आये नए अनमोल
दूर मेड़ों,
पर खड़े नव कृषक के
आँख में नाचे
कई सपने
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- गिरिमोहन गुरु |
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इस पखवारे
गीतों में-
अंजुमन में-
दिशांतर में
यू.एस.ए. से-
दोहों में-
पुनर्पाठ में-
पिछले पखवारे
१ मार्च २०१७ को
प्रकाशित
होली
विशेषांक में
गीतों में-
अमिताभ
त्रिपाठी,
अलका
प्रमोद,
आभा
सक्सेना,
उर्मिला
उर्मि,
ऋता शेखर मधु,
कल्पना
मनोरमा,
कल्पना
रामानी,
कुमार
गौरव अजीतेन्दु,
कुमार
रवीन्द्र,
कृष्ण
भारतीय,
गोपालकृष्ण भट्ट आकुल,
ज्योतिर्मयी पंत,
निशा
कोठारी,
प्रदीप
शुक्ल,
मानोशी
चैटर्जी,
रंजना
गुप्ता,
रविशंकर
मिश्र रवि,
रावेन्द्रकुमार रवि,
शंभुशरण
मंडल,
शशि
पाधा,
शशि
पुरवार,
श्रीधर
आचार्य शील,
सीमा अग्रवाल,
सीमा
हरि शर्मा,
सुरेन्द्रपाल वैद्य,
सुरेश पण्डा,
सौरभ
पांडेय। अंजुमन में-
अनिता मण्डा,
ओम नीरव,
नीरज निश्चल,
बसंत
कुमार शर्मा,
रमा
प्रवीर वर्मा,
हरिवल्लभ शर्मा हरि। छंदमुक्त में-
उर्मिला
शुक्ल,
सुनीता
सिंह छंदों में-
ओमप्रकाश नौटियाल,
परमजीत
कौर रीत,
पवन
प्रताप सिंह पवन,
मणिबेन
द्विवेदी,
शैलेष
गुप्त वीर,
त्रिलोचना
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अंजुमन
। उपहार
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गौरवग्रंथ
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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना
निदेशन : अश्विन गांधी संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन :
पूर्णिमा वर्मन
सहयोग :
कल्पना रामानी
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