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दिल मेरा
बिन बात बसंती |
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क्यों जाने
धड़के है अबके
दिल मेरा बिन बात बसंती
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फागुन की धुन गूँज रही है
यादों की अमराई में
साजन के दीदार हुए हैं
फूलों की परछाई में
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धरती अंबर साज रहे हैं
खुशबू की बारात बसंती
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दुल्हन साँसें डोल रहीं है
पल पल सरसों की डोली में
हाल जिया का पूछ रहीं सब
सखियाँ हँसी ठिठोली में
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सुनके उनकी बतियाँ डोलें
तन तरुवर के पात बसंती
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सच पूछो तो दसों दिशाएँ
आज बड़ी मदहोश लग रहीं
नरम नरम ये पुरवाई भी
साजन का आगोश लग रही
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खुद पर कोई जोर नहीं है
बेकाबू जज्बात बसंती
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आज न अपनी चाहत में
विरहा का कोई शूल रहे
हरपल लगता है बाहों के
झूले में हम झूल रहे
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भूल नहीं पाएँगे तेरे
संगम की सौगात बसंती
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- शंभु शरण मंडल |
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इस पखवारे
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१ फरवरी २०१७ के अंक
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