पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१५. ७. २०१६

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कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला रचनाकारों से

सुबह हो रही है

 

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सुनहरी सुनहरी
सुबह हो रही है
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कहीं शंख
ध्वनियाँ कहीं पर अज़ानें
चलीं शीश श्रद्धा चरण में झुकानें
प्रभा तारकों की स्वतः
खो रही है
1
प्रभाती
सुनाते फिरें दल खगों के
चतुर्दिक सुगंधित हवाओं के झोंके
नई आस मन में उषा
बो रही है
1
ऋचा कर्म
की कोकिला बाँचती है
लहकती फसल खेत में नाचती है
कली ओस बूँदों से मुँह
धो रही है
1
- मनोज जैन मधुर

इस पखवारे

गीतों में-

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मनोज जैन मधुर

अंजुमन में-

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सोनरूपा विशाल

छंदमुक्त में-

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परिचय दास

मुक्तक में-

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क्षिप्रा शिल्पी

पुनर्पाठ में-

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आचार्य सारथी

पिछले पखवारे
१ जुलाई २०१६ को प्रकाशित अंक में

गीतों में-
शिवानंद सहयोगी

अंजुमन में-
आर्य हरीश कोशलपुरी

छंदमुक्त में-
पृथ्वीपाल रैणा

दोहों में-
मंजु मिश्रा

पुनर्पाठ में-
सरिता शर्मा

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी